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05 May 2011

बस यूँ ही

बस यूँ ही कभी
खामोश रह कर
बेचैन सन्नाटों में
तलाश करता हूँ
खुद को

शायद खो चुकी
मेरी रूह
भटकती  हुई
कहीं मिल ही जाए
और मैं जी सकूँ फिर से
भूत, वर्तमान और भविष्य को !

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22 comments:

  1. शायद खो चुकी
    मेरी रूह
    भटकती हुई
    कहीं मिल ही जाए
    और मैं जी सकूँ फिर से
    भूत वर्तमान और भविष्य को !
    मन की व्यथा प्रदर्शित करती सुन्दर प्रस्तुति.

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  2. wah yashwant bhai bahut khoob likha hai
    ...........jwab nahi aapka

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  3. रूह जिसको मिलेगी वह भला कौन है !

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  4. सबके दिल की बात कह दी।

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  5. वाह, मजेदार....यह तो बहुत सुन्दर कविता है..बधाई.

    ________________________________

    'पाखी की दुनिया' में 4 साल की उम्र में इतना बड़ा इनाम सुन हैरान हो जाएंगे आप.

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  6. बहुत खूब! सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..

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  7. सर जी आपके पोस्ट की तो बात ही अलग होती है
    पसंद आया|

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  8. बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...

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  9. बस यूँ ही कभी
    खामोश रह कर
    बेचैन सन्नाटों में
    तलाश करता हूँ
    खुद को
    शायद यह sabse मुश्किल है की हम खुद को dhoondh पायें .कोशिश jari rakhiye .

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  10. मन की वेदना ..... वक्त कहाँ हाथ आता है.... बहुत बढ़िया

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  11. खुद को पाने के लिए भीतर से मौन होना जरूरी है... बहुत अच्छी रचना ।

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  12. बुहुत सुंदर भाव हैं .....

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  13. श्रीमान जी, क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.

    श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी कल ही लगाये है. इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.

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  14. शायद खो चुकी
    मेरी रूह
    भटकती हुई
    कहीं मिल ही जाए
    और मैं जी सकूँ फिर से

    गहरे भावों को समेटे ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  15. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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  16. "बस यूँ ही कभी
    खामोश रह कर
    बेचैन सन्नाटों में
    तलाश करता हूँ
    खुद को"

    कुछ लोग बस यूँ ही कुछ नहीं सोचते...
    और न ही कहते हैं....
    कहीं आप उनमें से ही तो नहीं.....

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