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03 January 2012

कैलेंडर


नये साल पर
दीवारों से उतर जाते हैं
पुराने कैलेंडर
और टंग जाते हैं
नये
जिन पर बने होते हैं
कुछ चित्र
मन भावन

कुछ चित्र
जो जुड़े होते हैं
आस्था से
विश्वास से

कुछ चित्र
जिन पर
ठहर सी जाती हैं
नज़रें
सुकून की तलाश मे

कुछ चित्र
जो मूक हो कर भी
बोलते हैं
जिनकी आवाज़ को
कान नहीं
दिल सुनता है
और तन
महसूस करता है

दीवारों पर टंगे
कैलेंडर सिर्फ
कैलेंडर नहीं होते
जीवन होते हैं

तारीख के
बदलने पर भी
मूड के बदलने पर भी
उत्साह और गुस्से मे
खुशी और गम मे
कैलेंडर
रहता है साथ
भूत,वर्तमान
और भविष्य मे 
एक अभिन्न
मित्र की तरह।

38 comments:

  1. Wah Yashwantji bahut sundar likha hai aapne sach much ek calendar bada kalandar hota hai nahi...jaaaane kitni aashaye ummede inme basi hoti hai tabhi to dino ko mark kar te hai ek parivaar ke sadasya ki tarah sab maloom hota hai ise

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  2. कैलेंडर
    रहता है साथ
    भूत,वर्तमान
    और भविष्य मे
    एक अभिन्न
    मित्र की तरह।
    वाह ...बहुत खूब लिखा है

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  3. जो विचलित न कर दे वह स्त्री नहीं है
    और जो विचलित हो जाए वह पुरूष नहीं है

    लिखते जाओ और लिखते ही चले जाओ
    नया वर्ष यही कहता है मुझसे और आपसे

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  4. बहुत सुंदर। कैलेंडर जीवन का एक अभिन्‍न और महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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  5. calendar ke sath man ke bhavo ko bakhubi joda hai..bahut khoob :)

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  6. बहुत ही सुन्दर ..........एक नयी परिभाषा |

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  7. sundar shirshak..chuna hai aapne...lekhan ati sundar..

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  8. दीवारों पर टंगे
    कैलेंडर सिर्फ
    कैलेंडर नहीं होते
    जीवन होते हैं

    .....बहुत सच कहा है...सुन्दर प्रस्तुति..

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  9. कैलेंडर
    मित्र की तरह। waah bhai

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  10. केलेंडर के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ...

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  11. बहुत सुंदर लिखा है......

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  12. अच्छा लिखा है ..वाह .

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  13. कल 04/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, 2011 बीता नहीं है ... !

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  14. calender ko lekar aapne bahut hi khubsurat rachna likhi hain...
    calender to sabhi ke ghar main hote hain...lekin wo nazar nahi hoti jis nazar se aapne calender ko dekha hain...aur khubsurat abhivyakti ki hain.
    bahut hi sundar rachna.

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  15. वाह क्या बात है बेहतरीन अभिव्यक्ति ....

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  16. बहुत बढ़िया...नव वर्ष की शुभकामनाएँ ।

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  17. हमारे सामने आते दिन हैं कैलेंडर ,बीते हुये उतर जाते हैं खूँटी से -हाँ उनके साथ हम कुछ चित्र जोड़ लेते हैं पर वे भी धूमिल हो जाते हैं समय की अविराम यात्रा में !

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  18. कुछ चित्र
    जो मूक हो कर भी
    बोलते हैं
    जिनकी आवाज़ को
    कान नहीं
    दिल सुनता है
    और तन
    महसूस करता है

    दीवारों पर टंगे
    कैलेंडर सिर्फ
    कैलेंडर नहीं होते
    जीवन होते हैं

    sahi kaha...

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  19. बहुत बढ़िया...
    मैं तो एक साल पुराना केलेंडर भी सहेजे रखती हूँ...पिछले हिसाब-किताब को देखने के लिए :-)

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  20. बदलती तारीख और बदलते कैलेंडर प्रगति का सूचक हैं।

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  21. जी हाँ कैलेन्डर आज जीवन के अभिन्न अंग बन गए हैं | बहुत सुंदर प्रभावी रचना,..

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  22. एक अभिन्न
    मित्र की तरह।

    एक यथार्थ,

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  23. bahut sundar मूड के बदलने पर भी
    उत्साह और गुस्से मे
    खुशी और गम मे
    कैलेंड ....jo mera man kahe ....sarthak

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  24. नए साल में ....प्रस्तुति अच्छी लगी.

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  25. कैलेंडर हमारे अभिन्न मित्र हैं हर काल में...सच है जब तक श्वास है तब तक समय का भान है और तब तक आज और कल है तो कैलेंडर हमारे साथ पल पल है..सुंदर कविता!

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  26. 'कुछ चित्र
    जो मूक हो कर भी
    बोलते हैं
    जिनकी आवाज़ को
    कान नहीं
    दिल सुनता है
    और तन
    महसूस करता है' bahut sunder abhivyati hai.

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  27. कैलेंडरों की तरह दिन भी बदलते लोगों के तो कोइ बात होती!!
    बहुत अच्छी रचना!!

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  28. कॅलेंडर पर बहूत हि उमदा सोच के साथ बेहतरीन रचना है....

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  29. सुंदर प्रस्तुति है आपकी.
    आपकी आवाज और बोलने का अंदाज
    बहुत सुन्दर हैं.

    मेरे ब्लॉग पर आपके न आने को मैं
    क्या कहूँ?

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  30. बहुत सुन्दर ....आभार

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  31. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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  32. Nav varsh ke liye aapko va aapke pariwarjano, mitron ko shubhkamnayen.

    bahut hi achha likha hai calender par, sach vibhinn anubhutiyan de jaate hain.

    shubhkamnayen

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  33. मेरी नज़र में कलेंडर की परिभाषा .....कल ...आज और कल

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