प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

01 August 2012

'दो'

आदत है अँधेरों में जीने की 
तो क्या चीज़ उजाला है 
एक तरफ है झक सफ़ेद 
एक तरफ काला है  

कहीं इस समय दिन है 
कहीं पे रात है 
कहीं भरी दुपहर है 
कहीं शाम की बात है 

मावस की लकीरों में 
कहीं उदास है जिंदगी 
पूनम की महफिलों में 
कहीं खास है जिंदगी 
 
दो रूप हैं ,दो रंग हैं 
एक लुभाता ,एक अखरता है 
जो पूरा है,अधूरा भी है 
दो नज़रों से एक दिखता है

आदत है दो में जीने की 
क्या कर सकता एक अकेला है 
काला सफ़ेद तो निश्चित होगा 
जिंदगी का यही झमेला है


(दो दिन बिजली ग्रिड की गड़बड़ी से प्रेरित )


 ©यशवन्त माथुर©

21 comments:

  1. इतना अच्छा लिखोगे तो पावर ग्रिड कारपोरेशन रायल्टी मांग लेगा तुमसे , प्रेरणा के एवज में | बहुत खूब |

    ReplyDelete
    Replies
    1. :-)

      बहुत बढ़िया यशवंत...

      सस्नेह

      Delete
  2. बहुत खूब...पावर ग्रिड की गड़बड़ी ने जीवन की असलियत समझा दी..

    ReplyDelete
  3. दो रूप हैं ,दो रंग हैं
    एक लुभाता ,एक अखरता है
    जो पूरा है,अधूरा भी है
    दो नज़रों से एक दिखता है

    बहुत ही बढ़िया ......

    ReplyDelete
  4. बहुत बढ़िया
    दो रूप हैं ,दो रंग हैं
    एक लुभाता ,एक अखरता है
    जो पूरा है,अधूरा भी है
    दो नज़रों से एक दिखता है
    बेहतरीन रचना....

    ReplyDelete
  5. उत्कृष्ट प्रस्तुति गुरूवार के चर्चा मंच पर ।।

    ReplyDelete
  6. दो रूप हैं ,दो रंग हैं
    एक लुभाता ,एक अखरता है
    जो पूरा है,अधूरा भी है
    दो नज़रों से एक दिखता है..बहुत सही कहा यशवंत..शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  7. बहुत ही प्यारी रचना..

    ReplyDelete
  8. आदत है दो में जीने की
    क्या कर सकता एक अकेला है
    काला सफ़ेद तो निश्चित होगा
    जिंदगी का यही झमेला है


    सुन्दर, लिखते रहो यशवंत जी

    ReplyDelete
  9. वाह ... बेहतरीन

    ReplyDelete
  10. काला सफ़ेद तो निश्चित होगा
    जिंदगी का यही झमेला है

    झमेले में ही जीना का मज़ा है,,,:-)
    बढ़िया ओरास्तुती सर:-)

    ReplyDelete
  11. आदत है दो में जीने की
    क्या कर सकता एक अकेला है
    काला सफ़ेद तो निश्चित होगा
    जिंदगी का यही झमेला है

    यही जीवन का खेला है

    ReplyDelete
  12. सुन्दर रचना.....

    ReplyDelete
  13. waah!..........very good...

    ReplyDelete
  14. बहुत सुन्दर और सार्थक रचना...

    ReplyDelete
  15. बहुत अच्छी सार्थक रचना,,,,

    रक्षाबँधन की हार्दिक शुभकामनाए,,,
    RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,

    ReplyDelete
  16. दो का झमेला...बेहतरीन प्रस्तुति !!

    ReplyDelete
  17. इस काले और सफ़ेद के बीच ही जीवन की आपा धापी चलती रहती है ...

    ReplyDelete
+Get Now!