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11 September 2012

तब क्या होगा ?

घरों की खिड़कियों पर
चश्मों पर 
कारों पर
मॉल की दीवारों पर
और न जाने कहाँ कहाँ
काले शीशे
सीना तान कर
शान से जड़े हैं
अड़े हैं
सफेदपोशों से
भ्राता धर्म निभाने का
संकल्प लिये

कैसी है
इन काले शीशों के पीछे की
वास्तविक दुनिया
क्या काली है
या
कुछ उजलापन बाकी है ?

बड़ी उलझन मे हूँ
इन शीशों से
परावर्तित होता
अपना अक्स देख कर

दिन की तेज़ धूप
और रात में
इन शीशों पर
चौंधियाने वाली
कृत्रिम रोशनी देख कर
डर रहा हूँ
कहीं
मेरे चश्मे के सफ़ेद शीशे
इच्छा न कर बैठें 
काला होने की

और फिर
आईने में
खुद को देख कर
मैं ही न देख सकूँ
खुद के उस पार ....

तब क्या होगा ?

 
 ©यशवन्त माथुर©

30 comments:

  1. आईने में
    खुद को देख कर
    मैं ही न देख सकूँ
    खुद के उस पार ....

    तब क्या होगा ?

    ........इन पंक्तियों का सच बहुत ही गहरे उतर गया...सुन्दर और स्पष्ट भाव सुन्दर रचना यशवंत भाई
    @ संजय भास्कर

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  2. तब क्या होगा ?
    Bhagwan hi jane??

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  3. होता क्या मन कोयला होगा .हाथ काले ,कोंग्रेस वाले .
    ram ram bhai
    मंगलवार, 11 सितम्बर 2012
    देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने

    ReplyDelete
  4. पूरा सच बोलना मना नहीं है यहाँ ,लेकिन लोग स्वेच्छया "आधा सच "बोलतें हैं लिखतें हैं ब्लोगियातें हैं .क्या कीजिएगा ? .
    ram ram bhai
    मंगलवार, 11 सितम्बर 2012
    देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने

    ReplyDelete
  5. गहरी अभिव्यक्ति..... कहाँ आसान है खुद के पार देख पाना

    ReplyDelete
  6. गहन भाव लिए सुन्दर रचना...शुभकामनाएं..यशवन्त..

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  7. बहुत खूब यशवंत जी,,
    भावों को बड़ी खूबशूरती से उकेरा है अपनी रचना में,,,बधाई

    RECENT POST - मेरे सपनो का भारत

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  8. बहुत सुन्दर यशवंत....
    बहुत वज़नदार बात कह डाली...

    सस्नेह
    अनु

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  9. बड़ा कठिन और दुखद होता है खुद को बिना लिबास देखना ,यूँ तो कुछ भी लिखा और कहा जा सकता है किन्तु सच का सामना करना बड़ा दूभर हो जाता है . अनसुलझे प्रश्न जिनका उत्तर बहुत मुश्किल . खुबसूरत भावों से सजी रचना कह दूँ अच्छी लगी?

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  10. ये तो बड़ा गंभीर प्रश्न है.....................

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  11. वाह यशवंत ...बस वाह ...!!!!

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  12. मन को छूती, मन को झंक्झोरती रचना....

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  13. बहुत मुश्किल प्रश्न है.... गहन भाव...शुभकामनायें

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  14. यस काला पन लील लेता है आत्मा को .. नज़र नहीं आता इसको चढ़ा लेने के बाद ... गहरी अभिव्यक्ति है ...

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  15. डर रहा हूँ
    कहीं
    मेरे चश्मे के सफ़ेद शीशे
    इच्छा न कर बैठें
    काला होने की

    और फिर
    आईने में
    खुद को देख कर
    मैं ही न देख सकूँ
    खुद के उस पार ....

    तब क्या होगा ?

    very deep and profound...sach mein...tab kya hoga??????

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  16. बहुत गहरी बात..काले रंग से आजकल सभी भयभीत हैं..

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  17. बहुत गहन अभिव्यक्ति ....

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  18. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 15/09/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  19. गहन भाव लिए रचना....
    बहुत मुश्किल है खुद को काले रंग के पार देखना
    इसलिए काले रंग से सभी बचकर रचना..
    :-)...........

    ReplyDelete
  20. गहन भाव लिए रचना....
    बहुत मुश्किल है खुद को काले रंग के पार देखना
    इसलिए काले रंग से सभी बचकर रहना....
    :-)...........

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  21. कैसी है
    इन काले शीशों के पीछे की
    वास्तविक दुनिया
    क्या काली है
    या
    कुछ उजलापन बाकी है ?

    हमारे अंतर्मन काला है या उजलापन लिए?? बेहतरीन सवाल, बौद्धिक रचना।

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  22. चेहरे की हकीकत को समझ जाओ तो अच्छा है
    तन्हाई के आलम में ये अक्सर बदल जाता है..
    simply superb.

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  23. अपना चश्मा ही बाद में सवाल न करने लगे. बहुत बढ़िया तरीके से बयाँ हुई है काले शीशों की हकीकत.

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  24. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...

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  25. भावों को व्यक्त करते हुए शब्द और उनकी रचनाधर्मिता सराहनीय !

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  26. अच्छी रचना !
    घबराओ मत ! तुम्हारे चश्मे का शीशा तभी काला होगा, जब तुम अपनी मर्ज़ी से Sun glasses पहनोगे... :)

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  27. वाह, बहुत खूब

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  28. डर रहा हूँ
    कहीं
    मेरे चश्मे के सफ़ेद शीशे
    इच्छा न कर बैठें
    काला होने की

    बहुत खूब ।

    ReplyDelete
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