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15 February 2013

कल और आज ....

चित्र-जूही श्रीवास्तव जी की फेसबुक वॉल से 
कल
हाथों में ढेर सारे
'दिल' पकड़े
दिलवालों के इंतज़ार में
उसका दिन बीत गया

दिल वाले आते गये
'दिल' लेते गये
किसी को देते गये
और वो
खुश होता रहा

आज भी
वो उसी जगह खड़ा है
आज हाथ मे दिल नहीं
सरस्वती हैं

लोग आ रहे हैं
उसके पास
खरीद रहे हैं
ज्ञान की देवी को
सजाने के लिये
मंदिरों
और घरों में
पूजा के लिये

वो
कभी हँसता है
मुसकुराता है
कभी बना लेता है
गंभीर सा चेहरा

वह भाग्य भी है
और कर्म भी है 
पर क्या
कहीं कोई है
जो मिलवा सके उसे 
सच्ची सरस्वती से ?

©यशवन्त माथुर©

17 comments:

  1. Beautiful ...वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाए...

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  2. गहन भाव लिए संवेदना से भरपूर उत्तम प्रस्तुति ! अति सुन्दर !

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  3. यशवंत भाई बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति |

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  4. बहुत खूबसूरत अभिव्यकि |
    आशा

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  5. आहा.. क्या बात कही है.. कभी बदलेगी, उसकी किस्मत भी..

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  6. खूबसूरत भाव,बहुत सुन्दर अभिव्यकि

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  7. क्या बात कही है यशवंत जी,
    आएगा कोई सरस्वती का पुजारी जो उसको रूबरू कराएगा वास्तविक सरस्वती से

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  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (16-02-2013) के चर्चा मंच-1157 (बिना किसी को ख़बर किये) पर भी होगी!
    --
    कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
    सादर...!
    बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
    सूचनार्थ!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  9. बहुत गहन बात कही है ... सुंदर अभिव्यक्ति

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  10. बस यही किस्मत है उसकी...दूसरों कि खुशी में अपनी खुशी तलाश करना ...बेहद भावपूर्ण रचना !

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  11. बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!

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  12. बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!बेहतरीन अभिव्यक्ति.सादर नमन ।।

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  13. sundar abhivyakti..basantpanchami ki shubhkamnaye..

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  14. बेहतरीन अभिवयक्ति.....

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  15. वाजिब प्रश्न खड़ा करती वसंत पंचमी को ...
    लाजवाब प्रस्तुति ...

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