प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

18 May 2013

उल्टी दिशा में

पुरानी किताब के
गलते पन्नों  की
धुंधलाती इबारतें
कभी कभी
सामने आ जाती हैं
अपने चटख रंग में
जब उन के बीच
कहीं दबा हुआ
पुराना सूखा फूल
ज़मीन पर गिर कर
ले चलता है समय को
उल्टी दिशा में।

~यशवन्त माथुर©

11 comments:

  1. पुरानी यादों को ताजा करने के कई ्बहाने है..सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  2. गलते पन्ने पर लिखी इबारत और सूखे फूल यादों के पन्नों के भीतर हमेशा तरोताजा रहता है और सुगंध विखेर रही होती है......

    ReplyDelete
  3. गलते पन्ने पर लिखी इबारत और सूखे फूल यादों के पन्नों के भीतर हमेशा तरोताजा रहता है और सुगंध विखेर रही होती है......

    ReplyDelete
  4. खूबसूरत अभिव्यक्ति
    हार्दिक शुभकामनायें

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर एहसास

    ReplyDelete
  6. bhot khub...aapne poorane dino ki yad diladi........

    ReplyDelete
  7. सचमुच बिलकुल ताज़ा हो जाती हैं पुरानी यादें... सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  8. कहीं दबा हुआ
    पुराना सूखा फूल
    ज़मीन पर गिर कर
    ले चलता है समय को
    उल्टी दिशा में।

    आज भी महकता है वो सूखा हुआ फूल....

    ReplyDelete
  9. सचमुच बिलकुल ताज़ा हो जाती हैं पुरानी यादें... सुन्दर रचना
    संध्या शर्मा जी की बातों से पूर्णतः सहमत

    ReplyDelete
  10. जुडी रहती हैं कुछ यादें उसी सूखे फूल से ...
    यादों के झरोखे में लौटने का मन ...

    ReplyDelete
+Get Now!