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24 May 2013

तस्वीर जैसा इंसान

तस्वीर
एक ही होती है
और पहलू दो होते हैं
एक अच्छा लगता है
और सामने दिखता रहता है
दूसरा दीवार से चिपक कर
अंधेरे में रहता है

इंसान भी
तस्वीर की तरह होता है
एक पहलू दिखता है
जो अच्छा लगता है कभी
और कभी खराब दिखता है
और दूसरा पहलू
गुमनाम रह कर
देता रहता है आधार
कल,आज और कल को। 

~यशवन्त माथुर©

16 comments:

  1. और दूसरा पहलू
    गुमनाम रह कर
    डर उसी पहलू से लगता है
    हार्दिक शुभकामनायें

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति !! इंसान का दूसरा पहलू.... जो देता रहता है.. आधार कल आज और कल को .

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  3. बहुत अच्छी प्रस्तुति !! इंसान का दूसरा पहलू.... जो देता रहता है.. आधार कल आज और कल को .

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  4. bilkul sahi kaha apne....hum sab aise hi tho hai.....umda abhivyakti

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  5. sach kaha apne.....hum sab aise hi tho hain...umda abhivyakti

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  6. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(25-5-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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  7. बहुत अच्छी प्रस्तुति...

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  8. इंसान भी
    तस्वीर की तरह होता है
    एक पहलू दिखता है.....
    गहन बात बेहद सहजता से ...

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  9. सचमुच एक तस्वीर ही तो है इंसान....

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  10. सच है भाई ..
    मंगलकामनाएं आपको !

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  11. ऐसी सोच ही अक्‍सर इंसान को खुद से मि‍लने का मौका देती हैं....बधाई

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  12. इंसान वही रहता है तकदीर बदलते रहती है
    आइना वही रहता है तस्वीर बदलते रहती है

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  13. सही कहा आपने

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