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25 May 2017

टाई वाला मजदूर......

एक्ज़िक्यूटिव क्लास
टाई वाला मजदूर
अपने गले में
आई कार्ड का पट्टा लटकाए
कान में हेडफोन
और 'कॉन कॉल' का
शोर सुनते हुए
'लाइन' पर रह कर
'एक्सक्यूजेज़' देते हुए
भटकता फिरता है
दर बदर
भारी भरकम
और कभी कभी
एवरेस्ट से भी ऊंचे
टारगेट के
चरम
या उसके आस-पास
कहीं पहुँचने को।

वह दिन भर
मौसम के हर रूप
शहर के हर मोड़
और गली को
गूगल के नक्शे पर
नापते हुए
अपनी कुंठा
और खिन्नता को
छुपाते हुए
अपने चेहरे की
कृत्रिम मुस्कुराहट
और ऊर्जा से
कोशिश करता है
ए सी की ठंडक में
लक्ज़री चेयर पर बैठे
अपने 'क्लाइंट'   
या 'बॉस' को
लुभाने की
और बदले में
कुछ पाने की।

एक्ज़िक्यूटिव क्लास
टाई वाला मजदूर
'बेलदार' तो नहीं
पर उससे
कम भी नहीं होता
यह बात अलग है
कि वह ईंट और गारा
नहीं ढोता।
वह ढोता है–
अपने दिमाग में
बहुमुखी अपेक्षाओं
आशंकाओं की
ईंटों के चट्टे ...
अपने
अनोखे 'लक्ष्यों'
और उन्हें पाने की
जुगाड़ों के
कई नायाब तरीके।

वह
करता रहता है
हर संभव कोशिशें
नौकरी को
'सेफ' रखने की
'इन्सेंटिव' नहीं
तो 'सिर्फ 'सैलरी' से
जीने की
क्योंकि उसके घर में
उसके साथ
कुछ लोग
गुज़र करते हैं
एक छोटी सी रसोई में
बने
दाल-भात
सब्जी और अचार की
थोड़ी सी
खुराक से।

-यश©
25/मई/2017


2 comments:

  1. समसामायिक यथार्थवादी रचना..

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  2. सटीक और सार्थक रचना

    ReplyDelete
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