प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

21 June 2018

ज़िंदगी धोखेबाज है

क्या पता कल था किसका
और किसका यह आज है
ज़िंदगी धोखेबाज है।

कल लिखे थे गीत सुनहरे
कल क्या लिखा जाएगा।

कोई कहेगा कर्कश स्वर में
कोई सुर में गाएगा।

यूं ही अकेले बैठे-ठाले
समय की स्याह कहानी के

टूटे-फूटे हर्फों के ये
पन्ने कौन समझ पाएगा।

ना-मालूम इन राहों पर अब
कैसे चलना आएगा।

थमना जिसने कभी न सीखा
बैठ कहीं सुस्ताएगा।

मिटेगा कोई राम भरोसे
कोई अमर हो जाएगा।

आना-जाना लगा ही रहेगा
सांस तो सिर्फ परवाज़ है
ज़िंदगी धोखेबाज है।


-यश ©
17 जून/2018


2 comments:

+Get Now!