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02 February 2019

चल दिया............

बे-अरमान आया था
बा-अरमान चल दिया
मुकद्दर में जो था मेरे
लेकर वही चल दिया। 

न सोचा था कभी कि
अश्क ऐसे भी होते हैं
न खुशी जो न किसी
गम के कभी होते हैं।

ये तलब थी न कभी कि
तलफ ऐसा होगा मेरा
स्याह की तमन्ना लिए
हरफ उजला होगा मेरा।

माना कि वो थी दास्ताँ
अब यह रास्ता नया है 
वो  एक दौर था कभी
जो अब  गुजर गया  है।

बे- मुकाम आया था
बा -मुकाम चल दिया 
जो नज़र के धोखे थे
ले कर उन्हें चल दिया।

-यश ©
02/फरवरी/2019 

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