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26 January 2022

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ....

मेरी आन-बान-शान तिरंगा 
मेरा स्वाभिमान है 
जो कुछ करूँ या सोचूँ 
इस पर हर कतरा कुर्बान है। 

कितने ही गीत लिखे जा चुके 
कितने ही लिखने बाकी हैं 
दुश्मन की छाती पे चढ़ने को 
सिर्फ जयकारे ही काफी हैं। 

कहीं रेत के टीले ऊँचे 
कहीं बर्फीले तूफान हैं 
सीमा की हर बंदिश पर 
जय-जय वीर जवान हैं। 

गणतंत्र के प्रेरक अपने 
तीन रंग, चक्र निशान हैं 
इनके लहराने से मिलती 
हमें अतुल्य पहचान है। 

-यशवन्त माथुर©
25012022 

16 January 2022

अंतराल

स्वाभाविक होता है 
अंतराल..  
कभी 
आत्ममंथन के लिए
कभी 
एकांत चिंतन के लिए  
और कभी 
बस यूं ही 
कुछ पल के 
सुकून के लिए 
भीड़ से दूर 
या भीड़ के बीच भी 
औपचारिक 
आत्मीयता के साथ भी- 
अलग भी 
अंतराल .. 
अपने साथ 
सहेजता है 
कुछ यादें 
और खुद से किए 
कुछ वादे 
क्योंकि 
अंतराल 
अपनी क्षणभंगुरता में 
बो देता है बीज 
किसी और 
भावी अंतराल के। 

-यशवन्त माथुर©
16012022 

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01 January 2022

सबको नया साल मुबारक

सुबह नई, बातें वही
सूरज को नमस्कार मुबारक
परिवर्तन शुभ हो समय का
सबको नया साल मुबारक।

महंगाई को झेल रहे सब
बेरोजगारी के आलम में 
फुटपाथ पे रहने वालों को
महलों के सब ख्वाब मुबारक।

शतरंजी चालों को चलते
चुनावी वादों को करते
भीतर से जो सभी एक हैं
उनको जीत और हार मुबारक।

सबको नया साल मुबारक
उम्मीदों का हर हाल मुबारक
हर 'आम'  खास बने कभी
ऐसा हर एहसास मुबारक।

 सबको नया साल मुबारक।

-यशवन्त माथुर©
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